चेला चंगीलाल

चेला चंगीलाल अपने गुरु की बहुत सेवा था। 

      

गुरु जी उसे प्यार से बब्बर शेर कहकर बुलाते थे।  


एक दिन चंगीलाल का ब्याह हो गया और ब्याह होने के बाद वह बहुत दिनों तक गुरु से मिलने नहीं गया।  


तब गुरु जी  को चंगीलाल की याद आयी और गुरु जी ने चंगीलाल को फ़ोन लगाया।   


गुरु जी ने चंगीलाल से पूछा, क्यों रे मेरे बब्बर शेर कहाँ है आज कल और अपने गुरु से मिलने भी नहीं आता,


तब चंगीलाल बोला, गुरुजी अब आपके शेर पर दुर्गा सवार है।  

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